क्षत्रिय चारण

क्षत्रिय चारण
क्षत्रिय चारण

रविवार, 29 जुलाई 2018

महाराणा सांगा और शूरविर चारण ठा. जामण जी सौदा

*सेणुंदा ठिकाने के शूरविर चारण ठाकुर जामण जी सौदा*


  *मेवाड़ के भीलवाड़ा जिले में  ठाकुर जामण जी सौदा सेनुदा गाँव के जागीरदार थे । ये अपनी विद्वता व वीरता के लिए प्रसिद्ध थे* । *आपके पिता जी पालम जी व दादा जी का नाम ठाकुर बाजुड़ जी था* ,

*बाबर व राणा सांगा के बीच हुए 1527 ई के युद्ध मे ये राणा सांगा के साथ स्वयं युद्ध मे सेनापति के पद से लड़े थे* ।
*राणा सांगा के मस्तक में तीर लगने से ये जब गायल होकर मूर्छित हो गए थे । तब इन्हें युद्ध क्षेत्र से हटाकर बसवा लाया गया था । मुर्छा खुलने पर वीर राणा सांगा को युद्ध से हटाए जाने का बहुत ही दुख हुआ तब ठा. जामण सौदा ने राणा सांगा को सांत्वना दी कि युद्ध से लौटने के कारण कोई योद्धा अपयश का भागी नही होता है । भगवान कृष्ण स्वयं जरासध से युद्ध मे सात बार भागे थे किंतु आठवी बार विजयी होकर जरासंध का वध कर दिया । आज हम लोग मूर्छित अवस्था मे आपको युद्ध भूमि से उठा लाए है पर कल जब आप पुनः स्वस्थ होकर बाबर पर विजय प्राप्त करेंगे तब आपका युद्ध भूमि से लौट आना ही मेवाड़ के गौरव का कारण बनेगा* ।

*बाबर से  युद्ध में पराजित होने के कारण राणा सांगा बहुत ही निराश हो गया था तथा अत्यंत उदास रहता था वह न तो कभी महल से बाहर आता था व न ही किसी से मिलता जुलता था*

*तब जामण सौदा ने एक गीत की रचना कर राणा सांगा को सुनाया । उस गीत को सुन कर राणा सांगा इतने प्रभावित हुए की उन्होंने बकान नाम गाँव जामण सौदा को भेंट किया था । जामण सौदा एक युद्ध नायक थे तथा सन 1584 ई में माडु के बादशाह से लड़ते हुए पीली खाल में वीर गति को प्राप्त हुए थे । जामण सौदा के लिखे हुए कई डिंगल गीत उपलब्ध होते है* ।


*चारणाचार पत्रिका उदयपुर*
*सुल्तान सिंह देवल*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें