क्षत्रिय चारण

क्षत्रिय चारण
क्षत्रिय चारण

रविवार, 24 दिसंबर 2017

दसोंदी / चारण

*दसोंदी / चारण*

राजपूताना के रजवाडो के राजा  चारणो को वंदनीय ,पुजनीय मानते थे,और बडा मान सम्मान देते थे। राज दरबार मे चारण का स्थान उच्च और सन्माननीय था।

>"दसोंदी" यानी देशी राज्य की सभी आवक मे से दस वे हीस्से का हकदार(चारण)।

>दसोंदी चारण का राज दरबार मे उच्च स्थान और प्रतीष्ठीत व्यकत्तीत्व था, उनको पुरे राज्य मे राजा जेसा ही मान-सन्मान मीलता था।

 >राजकुमारीओ के रीश्ते की बात करने दसोंदी चारण जाते थे।

> चारण युद्ध भुमी मे हरावल टुकडी (पुरी सेना का नेतृत्व करने वाली टुकडी,जो युद्ध मे सबसे आगे होती थी) मे सबसे आगे खडे रेहते थे,और अपना शौर्य प्रदर्शन करते विरता से युद्ध लडते थे।

चारण-राजपूत की दसोंदी की जोडी ईस प्रकार है :,

सौदा - सीसोदीया
रोहडीया - राठोड
दुरसावत(आढा) - देवडा चौहान
सिंहढायच - प्रतीहार/पढीयार
रत्नु - भाटी
नांदु - खीचि

>दसोंदी जोड पर एक दोहा प्रचलीत है,

*।।सौदा अने सीसोदीया, रोहड ने राठोड,*
*दुरसावत ने देवडा, यादव रत्नु जोड।।*

*जीगर बन्ना थेरासणा*

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