क्षत्रिय चारण

क्षत्रिय चारण
क्षत्रिय चारण

मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

क्षत्रिय गढपति चारण

 गढविर चारण गढ की रक्षा मे राह चलते भी अपना धर्म व मर्यादा समझकर मरना कबूल कर लेते थे।चारण का सत्य संभाषण व गढरक्षा का मर्यादित धर्म अप्रतिम शौर्य के साथ साथ हजारो वर्षो तक बडी शालीनता के साथ निर्वहन किया जाना देवीमाता हिंगलाज की शक्ति से ही संभव हो सका है। ईसलीए एसे उदाहरण सम्पूर्ण जगत मे केवल एक   चारण राजपूत के सनातन मे ही मीलते है ।

चारण गढपति होता था ईसलीए जैसलमेर का कोई भी शासक गद्दीनशीन होने पर सर्वप्रथम उसके दरबारी चारण का राज्याभिषेक करता था। वह राज्य छत्र पहले चारण गढपति के सिर पर धारण करवाया जाता था,तत्पश्चात भाटी शासक के सिर पर वही छत्र धारण करवाया जाता था । जीससे जैसलमेर भाटी राजवंश 'छात्राला भाटी' कहलाते। ईसका अर्थ है की चारणो के हाथ से दीये गये राज्य का संचालन उनकी आग्या से कर रहे है।

*जीगर बन्ना थेरासणा*

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