🗡 धानडा शाखा की कुछ जानकारी और ठिकानों के इतिहास
गोत्र - तूम्बेल
कुलऋषी - शंकरा
कुलदेवी - रवेची,चामुंडा
कुलब्राह्मण - मसूरियो
शाखा के माँगणियात(याचक) - भरडोसो
उप शाखा की संख्या - 13 1/2
>तुम्बेल गोत्र के अन्तर्गत धानडा शाखा आती है। धानडा सिरदारो का एक दोहा है:
सुरा जिमावण साॅढ।लाल चढण ने लाङली।।
जब हूई वार हलकार।तब धरम मचायो धानडे।।
राजस्थान के वागड प्रदेश मे धानडा सिरदारों के 3 ठिकाने है, भटवाडा ,राठडीया ,माकीया;और गुजरात मे 2 तसीया और जोटाणा ।
राठडिया के श्रीवीरजी के सुपुत्र ठा.भारथोजी धानडा को बाँसवाडा रावल विजेसिंहजी ने संवत 1949 आसाढ सुदी 11 को राठडिंया ग्राम जागीर मे दिया इन्हीं भारथो जी के वंश से ठाकुर जौवानसिंह हुए' ठाकुर जोवानसिंह जी कि अनुपस्थिति मे डूगंरपूर कि माँडव मीणा पाल ने हमला कर दिया !
तब ठाकुर के भतीजे गोपालसिंह ने वीरता से लड़ते हुए 180लोगों को धूल चटाई व राठडीया कि रक्षाकरते हुए वीर गति को प्राप्त हुए !
राठडीया मे सदासिव हजुरि ने उपरोक्त घटना कि जानकारी ठाकुर को दी' ठाकुर ने प्रण लेते हुए डूगंरपूर कि माँडव व भोराई पाल को तोड़ कर 200 से ज्यादा मीणा लोगों को
मार कर राठडीया पुन: स्थापित किया !
तामृपत्र तथा प्रत्येक चिह्न भी विद्यमान है। आज इन्ही ठाकुर जोवानसिंहजी के वंशज राठडीया ठिकाने के जागीरदार है ,और वह चारण कुल मे खानदान कहलाते है ।
>और बात करे तो वागड के माखीया जागीर की ,श्री मौखमजी के सुपुत्र ठा.वीरसिंहजी धानडा को बाँसवाडा महारावल पृथ्वीसिंहजी ने सवंत 1804 चेत्र सुद 8 और शनिवार के दिन माखीया साँसण प्रदान किया।
>और बाँसवाडा जिले मे धानडा सिरदारो की चोखी साँसण जागीरी है भट्वाडा । श्री दयारामजी के सुपुत्र ठा.सरदारसिंहजी धानडा को बाँसवाडा नरेश रावल भवानीसिंहजी ने सवंत 1895 आसो सुद 10 को भटवाडा साँसण प्रदान किया ।
और गुजरात के ईडर प्रदेश मे धानडा सिरदारो का एक ठिकाना है तसीया,और मेहसाणा मे एक है जोटाणा। तो ये रोचक जानकारी थी देवजाती चारण कुल की एक शाख धानडा की । आशा है इस जानकारी से आप सब को धानडा सिरदारो के बारे मे कूछ एतीहासीक तथ्य जानने को मिले होंगे ।
भूल चूक हेतु क्षमा
जय माताजी री
कुँ.जीगरसिंह सिंहढायच
ठी.थेरासणा
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