पंवार वंशीय राजा समजी रो बेटो कविदासजी आवड माताजी री आग्या सूं चारण बणग्यो।इण कविदास री पांचवी पीढी में भाचलियोजी (जो उणरे जागीर ग्राम भाचली रे नाम सु भाचलीया कहेलाए) होया अर उण री वंश परंपरा मे नरसिंहजी होया। नरसिंह भांचलिया साहसी ,वीर अर वाकपटु चारण हा।उण दिनां मंडोवर माथै नाहड़राव पड़िहार राज करै। बात चालै कै कपिल मुनी रै श्राप सूं एकर पुस्कर तल़ाब सफा सूखग्यो।पाछो भरीजै ई नीं जणै किणी कैयो कै कोई ऐड़ो आदमी जको घणा सिंह मार्या वे यो आदमी पुन्न आपनै इण तल़ाब माथै संकल़पै तो ओ तल़ाब भरीज सकै।राजा पतो करायो तो ठाह लागो कै एक चारण नरसिंह भांचल़ियो ऐड़ो विर प्रतापी पुरूष है।
कैल़ाशदानजी ऊजव्वल़ लिखै-
*साप कपिल मुनी सूखियो,*
*पुस्कर राज प्रसिद्ध।*
*पाणी पाछो प्रागल़ै,*
*समप्यां पुनि सिंघ वध्ध।।*
नाहड़राव आदमी मेल नरसिंह नै तेड़ायो।नरसिंह आयो अर जनहित में गौमार सिंह मारण रो पुन्न राजा रै नाम संकल़पियो-
*ताकव तुरत तेड़ावियो,*
*सह नाहड़ सन्मान।*
*सिंहढायच आयो सुभट,*
*दियण तीर्थ हित मान।।*
नरसिंह रे प्रतापी वर्चस्व अर तेजस्वी उणियारै सूं नाहड़राव प्रभावित होयो अर इणनै आपरो दरबारी बणाय 12 गांमां सूं मोगड़ो दियो-
*भांचल़ियो नरसिंघ भण,*
*पुस्कर कियो पड़ाव।*
*विरद सिंढायच भाखियो,*
*राजा नाहड़राव।।*
नरसिंह री संतति आपरै दादै सिंढायच लारै कालांतर में सिंढायच बाजी।
इणी ऊजल़ै वंश में आगै जायर बाणजी होया अर बाणजी रा बेटा हरिदास सिंढायच होया।
हरिदास सिंढायच रै एक दूहै माथै महाराज पदमसिंह बीकानेर नौ लाख री हुंडी भरी-
*रघुपत काय न रखियौ,*
*ऐक पदम आराण।*
*पाण अठारै पदम रै,*
*कर तौ वल़ केवाण।।*
बात चालै कै जद हरिदास इतरो धन लेय घरै गया तो उणां री जोड़ायत इचरज में पडती पूछियो कै "कांई कोई चिंतामणी हाथ आयगी कै कोई पारस मिलग्यो कै राम मिलग्यो कै जदुपत किसन भेटियो कै लंका लूटली आद आद रै साथै उणां कैयो कै ऐ सगल़ी नै होई तो सेवट म्हनै लागै कै महाराज पदमसिंह रीझग्या!!इण भावां नै किणी कवि आपरै शब्दां में पिरोवतां लिखियो -
चितामण कर चढे,
किना पारस्स परस्सै।
मिल़िया रघुपत राय,
किना जदुपत दरस्सै,
लूटी लंक कनंक,
किना लखमीवर तूठा।
भोल़ैनाथ भंडार,
दिया लूटाय अलुटा।
तूठा कुमेर वूठा वरुण,
अणखूटा धन आविया।
(कन( राजा पदम रीझाविया।।
सिंढायच हरिदास आपरी बखत रा मोटमना अर दातार मिनख हा।उणां दातारगी री घणी छौल़ां दी।किणी मोतीसर कवि लिखियो कै -जस दातारगी री दवा रै अभाव में ऐड़ो बीमार पड़ियो कै ऊभो ई नीं होय सकियो सेवट उणनै हरिदास धनंतर रो रूप धार दातारगी री ओखद सूं निरोग कियो-
*मांदो जस महलोय,*
*पड़ियो दत ओखद पखै।*
*हरि धनंतर होय,*
*बैठो कीधो बाणउत।।*गिरधरदानज रतनू दासोड़ी
कैल़ाशदानजी ऊजव्वल़ लिखै-
*साप कपिल मुनी सूखियो,*
*पुस्कर राज प्रसिद्ध।*
*पाणी पाछो प्रागल़ै,*
*समप्यां पुनि सिंघ वध्ध।।*
नाहड़राव आदमी मेल नरसिंह नै तेड़ायो।नरसिंह आयो अर जनहित में गौमार सिंह मारण रो पुन्न राजा रै नाम संकल़पियो-
*ताकव तुरत तेड़ावियो,*
*सह नाहड़ सन्मान।*
*सिंहढायच आयो सुभट,*
*दियण तीर्थ हित मान।।*
नरसिंह रे प्रतापी वर्चस्व अर तेजस्वी उणियारै सूं नाहड़राव प्रभावित होयो अर इणनै आपरो दरबारी बणाय 12 गांमां सूं मोगड़ो दियो-
*भांचल़ियो नरसिंघ भण,*
*पुस्कर कियो पड़ाव।*
*विरद सिंढायच भाखियो,*
*राजा नाहड़राव।।*
नरसिंह री संतति आपरै दादै सिंढायच लारै कालांतर में सिंढायच बाजी।
इणी ऊजल़ै वंश में आगै जायर बाणजी होया अर बाणजी रा बेटा हरिदास सिंढायच होया।
हरिदास सिंढायच रै एक दूहै माथै महाराज पदमसिंह बीकानेर नौ लाख री हुंडी भरी-
*रघुपत काय न रखियौ,*
*ऐक पदम आराण।*
*पाण अठारै पदम रै,*
*कर तौ वल़ केवाण।।*
बात चालै कै जद हरिदास इतरो धन लेय घरै गया तो उणां री जोड़ायत इचरज में पडती पूछियो कै "कांई कोई चिंतामणी हाथ आयगी कै कोई पारस मिलग्यो कै राम मिलग्यो कै जदुपत किसन भेटियो कै लंका लूटली आद आद रै साथै उणां कैयो कै ऐ सगल़ी नै होई तो सेवट म्हनै लागै कै महाराज पदमसिंह रीझग्या!!इण भावां नै किणी कवि आपरै शब्दां में पिरोवतां लिखियो -
चितामण कर चढे,
किना पारस्स परस्सै।
मिल़िया रघुपत राय,
किना जदुपत दरस्सै,
लूटी लंक कनंक,
किना लखमीवर तूठा।
भोल़ैनाथ भंडार,
दिया लूटाय अलुटा।
तूठा कुमेर वूठा वरुण,
अणखूटा धन आविया।
(कन( राजा पदम रीझाविया।।
सिंढायच हरिदास आपरी बखत रा मोटमना अर दातार मिनख हा।उणां दातारगी री घणी छौल़ां दी।किणी मोतीसर कवि लिखियो कै -जस दातारगी री दवा रै अभाव में ऐड़ो बीमार पड़ियो कै ऊभो ई नीं होय सकियो सेवट उणनै हरिदास धनंतर रो रूप धार दातारगी री ओखद सूं निरोग कियो-
*मांदो जस महलोय,*
*पड़ियो दत ओखद पखै।*
*हरि धनंतर होय,*
*बैठो कीधो बाणउत।।*गिरधरदानज रतनू दासोड़ी
जय श्री देवल मां , जय श्री चंदु मां
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